गुरुवार, 17 सितंबर 2009

पहला एहसास

15 वर्ष की उम्र में ,
देखा था तुझे जब पहली बार,
धड़का का था यह दिल होकर बेकरार,
पर मुझे तो था उस दिन का इंतज़ार ,
जब होगे मेरे सपने साकार ,
तुझे पाने के लिए बरसो इंतज़ार ,
तेरे काबिल बनने को ,
ख़ुद को किया बरसो तैयार ,
जीवन के हर पड़ाव को ,
किया हँस कर पार ,
रास्ते में हुई चाहे,
मुश्किलों की कितनी ही बरसात

अब तेरे आने से ही तो ,
जीवन मेरा सम्पूर्ण हो पाया है,
जीने की बस तू ही प्रेरणा ,
तू ही मेरा हमसाया है,
तू ही है वो तू ही है,
जिसने जीवन में मुझे ,
सही मार्ग दिखाया है,
मुझे मेरे जीवन में प्रगति पथ पर बढाया है,
तेरे संग ही जीवन मेरा सम्पूर्ण हो पाया है