tag:blogger.com,1999:blog-16277822456069078512024-03-12T18:29:15.912-07:00vastaviktaJEEWAN KE KUCH ANMOL PAL JO VASTAVIKTA SE PARE NAHI HAImanu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-82079918133066704732012-07-23T00:09:00.001-07:002012-07-23T00:09:59.203-07:00बंधन,अपमान,तिरस्कार नहीं - सम्मान की हकदार हूँ मैं...........<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKWa0hMTc2n7ECJLQizRxxMIHJghNVmvl35ZEiSv2TCtj8DqpZzlZiirBUQoxfl0FlI0315ATSs3EGG8HRBINSjKd_5jzAjqZFY3QOTDTxhJ0xKm5lRUob_h_WWjHkQkOE5yVVnaQcumc/s1600/pic.jpg" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgKWa0hMTc2n7ECJLQizRxxMIHJghNVmvl35ZEiSv2TCtj8DqpZzlZiirBUQoxfl0FlI0315ATSs3EGG8HRBINSjKd_5jzAjqZFY3QOTDTxhJ0xKm5lRUob_h_WWjHkQkOE5yVVnaQcumc/s1600/pic.jpg" /></a></div>
रोज़मर्राह हम खबरों में महिलाओ के साथ
होने वाली घटनाओ की वारदाते पढते रहते है। किसी को जला कर मार दिया,किसी
के साथ मारपीट, बलात्कार,लूटपाट और छेअड़खानी जैसी खबरे आज के समय में
मामूली बात हो गयी और सब से अजीब बात तो यह है की इस प्रकार की घटनायो को
जायदा तवाजो भी नहीं दिया जाता है| जिसके कारण महिलायों के साथ होने वाले
अपराधो की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होती जा रही है| <br />
आखिरकार
क्यों! पुरुष वर्ग, महिला अधिकार जाताना अपना धर्म और शान समझाता है|
जब इश्वर ने महिला और पुरुष को एक दूसरे का पूरक बनाया है तो उसके इस
अतुल्य उपहार को इंसान असमानता के तराजू में क्यों तोलता है | और इस
माप-तोल का दोषी हम किसी एक इंसान को नहीं ठहरा सकते है क्योकि यह माप-तोल
तो तभी शुरू हो जाता है जब एक नारी एक छोटी से बच्चे के रूप में किसी घर
में जन्म लेती है | यदि आप सोच रहे है की ,आज कल ऐसा नहीं है या केवल असभ्य
और अशिक्षित लोग ही ऐसा करते है तो यह धारणा बिलकुल गलत है, अशिक्षित व
असभ्य लोगों के साथ- साथ सभ्य और शिक्षित लोग भी इस समानता को बर्दाश नहीं
कर पाते है| जब एक स्त्री को स्वं के घर से ही असमानता का माहोल मिलता है
तो बाहरी जगत की तो बात ही अलग है| <br />
एक स्त्री चाहे वो बेटी, बहु,
पत्नी ,माँ कोई भी क्यों न हो हरदम हरपल किसी न किसी रूप में पिता, भाई,
पुत्र और पति के अधिकार में अपना जीवन व्यतीत करती है| लेकिन , उस पुरुष
वर्ग का स्वागत है| जो नारी उत्थान में अपना सहयोग देते है परन्तु बड़े
दुःख के साथ कहना पड़ता है की ऐसा वर्ग का प्रतिशत बहुत कम होता है |कुछ
लोग अकसर आप को कहते मिल जाते है कि एक नारी को आत्म निर्भर बनना चाहिए और
यह वास्तव में बहुत अच्छी बात है| परन्तु उस वर्ग के समक्ष एक प्रशन है,कि
क्या आप उसके आत्मनिर्भर बनने की राह में एक रोड़ा बनकर सामने नहीं आयेगे
?क्या आप उसका आगे बढ़ने में साथ देगे? नहीं! वो इसलिए क्योकि जब एक
स्त्री अपने घर की चारदीवारी से निकलकर आत्मनिर्भर बनने बाहर जाती है तो
,घर से कार्यालय तक जाने में महिलाओ को क्यों अनेक परेशानियों का सामना
करना पड़ता है| क्यों एक अनजान पुरुष जिसका उससे कोई लेनादेना नहीं है उस
पर अपना अधिकार जमाना चाहता है| जैसे वो स्वं अपना जीवन स्वतंत्र रूप से
जी रहा है स्त्री को क्यों नहीं जीने देता ? कार्यालयों में कर्मचारी साथी
और अधिकारी अपना हक क्यों जमाते है |<br />
अभी हाल ही दिल्ली मेट्रो में
छेड़खानी का एक मामला सामने आया जिसमें एक लड़की को यात्रा के दोरान
बदतमीज़ी का शिकार होना पड़ा | और वंहा खड़े सेकड़ो लोगों के लिए तमाशा बन
कर रह गयी | अक्सर इस प्रकार की घटनाओं से लडकियों को रूबरू होना पड़ता है
पर इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इस लड़की ने ब्लॉग पर अपनी साथ हुई
बदसलूकी की जानकारी दी| घटना कुछ इस प्रकार थी की २३ जून की दोपहर एक लड़की
नोएडा सिटी सेंटर स्टेशन से मेट्रो में अपनी यात्रा शुरू की,और लगभग
ख़ाली ट्रेन में दरवाज़े के पास वाली सीट पर बैठ गयी| कुछ ही स्टेशन
गुजरे थे कि अचानक उसे महसूस हुआ की कोई उसके उपर लद रहा है उसके साथ
छेड़खानी कर रहा है और लड़की के विरोध करने पर उसको जवाब देता है की तुम
यहाँ क्या कर रही हो लेडिज कोच में क्यों नहीं जाती| इस पूरी बहस में पास
खड़ा एक लड़के ने जब कहा कि जब वो कह रही है तो हट क्यों नहीं जाते हो| तो
उसने उस लड़के के साथ भी बतमीजी शुरू कर दी और हार कर पक्ष लेने वाले लड़के
ने कहा कि तुझे लड़की से बदतमीजी करनी है तो कर मुझसे बदतमीजी से बात मत कर |
ऐसे ही बहस बढ गयी और नोबत उन दोनों लडको के बीच मार -पीट तक बढ गयी और
एक दूसरे के शरीर से खून भी बहने लग गया | लेकिन लोगों से भरी मेट्रो में
किसी ने भी उन दोनों को रोकने की जरूरत महसूस नहीं की, हद तो तब हो गयी जब
मेट्रो में खून दे़ख कर लोगों ने उल्टा उस लड़की को ही कोसना शुरू कर दिया
कि सब उसकी वजह से हुआ है| अब हमरे सभ्य समाज में रह रहे लोगों की इंसानियत
को देखिये जिस लड़के ने बदतमीजी की उससे किसी ने नहीं रोका एक लड़की के साथ
होते अन्याय को सब देखते रहे और जब पीडिता ने स्वं के लिए आवाज़ उठाई तब
भी किसी ने उसका साथ नहीं दिया और एक जनाब अपना फ़र्ज़ पूरा करने उठे भी तो
लड़की को छोडकर अपने लिए लड़ने लग गए और इस सारी घटना के अंत में आखिरकार
कुसूरवार लड़की ठहराई गयी |उसके कुछ दिन बाद गुहावटी में भी एक महिला के साथ हुई बदतमीजी का मामला सामने आया। यह कोई नयी या चोकने वाली घटना नहीं थी इस
प्रकार की न जाने कितनी ही घटनाओ से एक स्त्री को रोज़ रूबरू होना पड़ता
है| परन्तु दुखद बात यह है कि इस प्रकार की घटनाओ के लिए उलटे महिलायों को
ही उनके व्यव्हार , पहनावे अदि के कारण दोषी ठहराया जाता है|
दुर्व्यवहार करने वाले पुरुष की नियत या गलत निगह को नहीं| <br />
अब सवाल
यह उठता है ,कि जो पुरुष एक पिता, भाई,पति और पुत्र के रूप में अपने घर की
स्त्रियों को मान-सामान और सुरक्षा देता है |वही पुरुष घर से बहर कदम रखते
ही उसी स्त्री के मान- सम्मान को क्यों रोंदता है | कुछ प्रतिशत लोग जो
इस प्रकार की घटनायो को अंजाम देते है उन्ही की वजह से पुरुष वर्ग (एक
पिता , भाई और पति ) को अपने घर की स्त्रियों को आज़ादी देते हुए डर लगता है
लेकिन नारी पर अधिकार जमाना व उससे बंधन में रखना इस समस्या का हल नहीं है
|यह समस्या बहुत गंभीर है जो बहुत विकराल रूप ले चुकी है एक स्त्री के साथ
मारपीट करना , छेड़खानी करना , दहेज़ के लिए प्रताड़ित करना अदि बहुत सी
समस्याए है | लेकिन, इंसान को यह समझना होगा ,बेशक नारी को पूजो मत उसे
अपनी बराबरी का दर्ज़ा भी मत दो पर उसे वह मान सम्मान दो जिसकी वो हक़दार है जो सम्मान , सुरक्षा आप अपने घर की स्त्रिओ के लिए चाहते है दुसरो से ,और
स्वं उन्हें देते है | वही घर के बहार जब अन्य स्त्रिया आप के समक्ष हो तो
उन्हें भी दे| जब आप को सभी प्रकार की स्वतंत्रता है तो पुरुष की पूरक,
जिसे स्त्री कहा जाता है | उसको बंधन , अपमान , तिरस्कार क्यों ?
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br /></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-44946917616903234182012-03-07T02:04:00.004-08:002012-03-07T02:04:50.419-08:00मेरा जहाँ मेरा अस्तित्व<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div class="ajy" style="text-align: center;">
<img alt="" class="ajz" data-tooltip="Show details" id=":w3" role="button" src="https://mail.google.com/mail/images/cleardot.gif" tabindex="0" /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6uH3Lr-sRcrnmstyWIyHtWDhrZVgoAw4zt8oLGphlwOnbIfIjz-HvStSHDVLUNFUNL0t7xeW7oYHNKKQhkgmla7mdoVJq5Wu_skr45_KUUA3b_j8k-kvVRotd7mfn3mdgBiD4HlOa3pg/s1600/womens.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="210" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi6uH3Lr-sRcrnmstyWIyHtWDhrZVgoAw4zt8oLGphlwOnbIfIjz-HvStSHDVLUNFUNL0t7xeW7oYHNKKQhkgmla7mdoVJq5Wu_skr45_KUUA3b_j8k-kvVRotd7mfn3mdgBiD4HlOa3pg/s320/womens.jpg" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<div style="text-align: center;">
<span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">सूरज की तपती किरणे हूँ तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">छांव का मेरा आंचल आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">गगन में छायी बदिरा हूँ तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">नदियों की मेरी कल कलाहट आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या ,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">जमीं पर मेरा नामोनिशां आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">बन्धनों में सभी जकड़ी </span></span><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">हूँ</span></span><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;"> तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">ख्वाहिशो का मेरा जन्हा आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">आज में फलक पर हूँ तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">जमीं पर मेरा आशियाँ आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">समुंद्र पर फैली रेत हूँ तो क्या ,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">मोती सी आब मुझ में आज भी है |</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">यादों को मेरी जहाँ से मिटा दोगे तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
<span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">जहन में बंसा मेरा रूप आज भी है|</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">(एक माँ ,बेटी और बहू )</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;">
</span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या,</span></span><br style="color: purple; font-family: arial,helvetica,sans-serif;" /><span style="color: purple; font-size: medium;"><span style="font-family: arial,helvetica,sans-serif;">ज़मी पर मेरा नामोनिशां आज भी है|</span><span class="HOEnZb"></span></span><br /><span style="font-size: medium;"><span class="HOEnZb"><span style="color: #888888;">
</span></span></span></div>
</div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-82162250086630178532012-01-26T02:10:00.000-08:002012-01-26T02:10:13.841-08:00गणतंत्र दिवस......<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
आज सुबह जैसे ही समाचरपत्र पड़ा तो एक खबर छपी थी "रिपब्लिक डे को देश आज़ाद या दांडी मार्च ?"</div>
<div style="text-align: justify;">
बहुत ही अच्छी खबर थी जिस में लिखा था आज के युवा भारत पाक क्रिकेट मैच हो या अन्ना का आन्दोलन,युवाओ का देशप्रेम...... चूड़ी,बिंदी,दुपट्टे से लेकर टोपी तक में नज़र आता है।तिरंगे के बैंड लगाये देश भक्ति की टी-शर्ट पहनने वाले यूथ ,फेसबुक तक में युवाओ का जज्बा दिखता है ।लेकिन मुझे दुःख यह पढ़ कर हुआ कि......रिपोर्टर जब कुछ युवाओ से गणतंत्र दिवस को लेकर प्रशन पूछे तो बेहद अजीबो -गरीब जवाब रिपोर्टर को सुनने को मिले ।जिनसे प्रशन किये गए उनमें से बहुत ही कम लोग यह बता पाए कि गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है ?......और कुछ के जवाब तो इस प्रकार थे इस दिन भारत आजाद हुआ था,गाँधी जी ने दांडी मार्च किया था ,किसी ने कहा आज कल तो हर डे मानाने का फैशन चल पड़ा है इसलिए ही मानते है इसी प्रकार के बहुत से उत्तर ....खेर ऐसा होता है, हर इंसान को हर विषये के बारे में जानकारी नहीं होती है ।पर जानकर दुःख तो अवश्य हुआ ।</div>
<div style="text-align: justify;">
तो मैंने सोचा आज गणतंत्र दिवस के दिन हमारे देश और गणतंत्र दिवस के बारे में जितनी जानकारी रखती हु आप सभी के साथ बाँट लू। २६ नवम्बर १९४९ को हमारे देश का संविधान अंतिम रूप में स्वीकृत हो गया ।पर इसे २६ जनवरी १९५० को लागू किया गया और तब से इस दिन को भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है ।</div>
<div style="text-align: justify;">
प्रत्येक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का अपना एक संविधान होता है ।भारत का भी अपना एक व्रहद संविधान है ।ये लिखित और विस्तृत है जो देश कि परिसितिथियो ,एतिहासिक अनुभवों और भोगोलिक -सामाजिक विभिन्ताओ के अनुकूल निर्मित किया गया है। और भारतीय संविधान कि जड़े हमें ब्रिटिश शासको द्वारा लाये गए अनेक अधिनियमों से मिलती है ।भारतीय संविधान ब्रिटिश शासको कि पद्धतियो को परिलक्षित तो करता ही है इसके साथ ही कई तत्व अमेरिका ,कनाडा ,दक्षिण अफ्रीका और आयरलैंड के संविधानो से भी लिए गए है संविधान निर्मतायो ने इनके प्रावधानों को भारतीय परिसिथितियो के अनुसार ढाल लिया ।उल्लेखनीय है कि</div>
<ul style="text-align: left;">
<li> संसद व्यवस्था के प्रावधान को ब्रिटेन के संविधान </li>
<li> मोलिक अधिकारों ,नागरिकता और न्यायपालिका को स्वतंत्रता अमेरिका संविधान</li>
<li>संघीय व्यवस्था कानाडा और आस्ट्रेलिया के सविधान</li>
<li>इसके अलावा आपातकालीन प्रावधान जर्मनी के संविधान</li>
<li>नीति निर्देशक सिधान्तो के प्रावधानों को आयरलैंड के संविधान से अधिग्रहित किया गया है ।</li>
</ul>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK9R4Qs2nQF4gmxUYxw18zrLvbe-34iEkP-GFcGdhcW89b7k1gglQ-8hjnRXMxqFQuFRLuSmNmH80xbOkIZj76rwq1Te_5qaRCERQ9Wj55OAZddQyvH6l21VF0gz13Nu6H-GnslUkfJdU/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK9R4Qs2nQF4gmxUYxw18zrLvbe-34iEkP-GFcGdhcW89b7k1gglQ-8hjnRXMxqFQuFRLuSmNmH80xbOkIZj76rwq1Te_5qaRCERQ9Wj55OAZddQyvH6l21VF0gz13Nu6H-GnslUkfJdU/s1600/images.jpg" /></a></div>
<div style="text-align: left;">
इसी के साथ आप सभी को मेरी ओर से ६३वे गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ।</div>
<div style="text-align: left;">
<br /></div>
</div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-23597668471759005842012-01-17T03:04:00.000-08:002012-01-17T03:04:58.950-08:00riashto ke tane- bane<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
जिंदगी की राहों में मिलते है,</div>
<div style="text-align: left;">
न जाने ,कितने अपने कितने बेगाने||</div>
<div style="text-align: left;">
कुछ खास से जुड़ जाती है </div>
<div style="text-align: left;">
रिश्तो की नाजुक डोर </div>
<div style="text-align: left;">
कईयो से बिना डोर भी</div>
<div style="text-align: left;">
जुड़ जाते है रिश्तो के ताने -बाने||</div>
<div style="text-align: left;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_UQgXJYQdaCDFVNoIH0481GxWW3c1L_TFBv-g6QDyGMQOQyLMLK5NVvyYkxnAG5d5blR9-yqlLxXJQsNrUEzWVcYLcc2XLmqkoMQNrD-an5ZjsFX8o4JUKcG_bZIM3onbfvVTNupwiE8/s1600/images.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="156" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_UQgXJYQdaCDFVNoIH0481GxWW3c1L_TFBv-g6QDyGMQOQyLMLK5NVvyYkxnAG5d5blR9-yqlLxXJQsNrUEzWVcYLcc2XLmqkoMQNrD-an5ZjsFX8o4JUKcG_bZIM3onbfvVTNupwiE8/s200/images.jpg" width="200" /></a>इन ताने बनो से जुडी होती है</div>
<div style="text-align: left;">
भावना किसी की </div>
<div style="text-align: left;">
जुड़े होते है प्यार के अफसाने||</div>
<div style="text-align: left;">
आखिर क्यों बनते है </div>
<div style="text-align: left;">
यह रिश्ते अनजाने </div>
<div style="text-align: left;">
जिनमें बंधे होते है </div>
<div style="text-align: left;">
अनजानी राहों के मुसाफिर अनजाने||</div>
<div style="text-align: left;">
ज़रूर होते होगे पिछले जन्मो के </div>
<div style="text-align: left;">
कुछ रिश्ते पुराने तभी तो कुछ खास </div>
<div style="text-align: left;">
न होते अपने न रहते बेगाने ||</div>
<div style="text-align: left;">
जिंदगी की राहों में मिलते है </div>
<div style="text-align: left;">
न जाने कितने अपने कितने बेगाने ||</div>
</div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-71014462153166442522011-12-26T06:12:00.000-08:002011-12-29T07:10:41.538-08:00meri yatra ke anubhav kiye hue kuch pal<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: left;">
<span style="font-family: "Courier New",Courier,monospace; font-size: large;">अ</span>भी कुछ समय पहले मैं अपने परिवार के साथ कृषण जन्म भूमि मथुरा गयी | सम्पूर्ण यात्रा बहुत ही अच्छी रही| परन्तु जन्म भूमि जाकर मन को कुछ आहात जरुर हुआ ,कि यह क्या है? क्योकि अभी तक सिर्फ सुना था ,कि औरंगजेब ने अपने शासन काल में तीन स्थानों के मंदिरों को ढहा कर मस्जिद का निर्माण किया ,तो कभी कुछ महसूस ही नहीं हुआ सिर्फ समाचारपत्र और टी.वी . पर एक खबर लगती थी| पर जब वह मैंने भगवन कृषण का जन्म जिस जेल में हुआ था वो स्थान देखा ,तो पता चला कि कंस की बाकि की ६ जेलों पर ,बराबर में खड़ी मस्जिद का निर्माण किया गया है,और मथुरा में यह इदगाह है| यह भी बाबरी मस्जिद की तरह एक विवादित स्थल है, और काशी विश्वनाथ में भी इस प्रकार का कुछ विषय है |</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-rMdpJZUjY-g/TvyBDMHmVRI/AAAAAAAAAPE/PxS-8L8pYQ8/s1600/Krishna-Janma-Bhumi.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="http://2.bp.blogspot.com/-rMdpJZUjY-g/TvyBDMHmVRI/AAAAAAAAAPE/PxS-8L8pYQ8/s400/Krishna-Janma-Bhumi.jpg" width="400" /></a></div>
<div style="text-align: left;">
इस बात को बताते हुए मन में किसी के लिए कोई अच्छी यह बुरी भावना नहीं है |और में सभी धर्मो का बहुत सम्मान भी करती हूँ | पर बस यही सोचती हूँ कि एक इंसान की इस सोच की वजह से आज १६०० से २१वि सदी आ गयी है ,पर लोगो के मन से भेद भाव और दूरिया आज भी कम नहीं हुई है| अगर औरंगजेब को मस्जिद का निर्माण ही करना था |तो कोई भी स्थान चुन सकता था |किसी एक ऐतिहासिक धार्मिक इमारत को ध्वस्त क्र के कोई और इमारत बनाना कही की भी अकलमंदी नहीं थी| .अगर उसे भी कुछ अच्छा करना ही था| तो देश को मस्जिद के तोर पर मुग़ल शासक शहंजहाँ की तरह ताज महल का निर्माण करवता |</div>
<div style="text-align: left;">
तो सभी उसे देखने तो जाते एक यादगार के तोर पर ,एक ऐतिहासिक इमारत के तोर पर ,इबादत के तोर पर जैसे ताज महल को सभी लोग दूर- दूर से देखने आते है |खेर सब की अपनी -अपनी सोच होती है और अपने -अपने कर्म |पर मेरा मानना है कि हमें चाहिए हम किसी भी धरम या जाति से क्यों न जुड़े हो अपने कर्म ऐसे करने चाहिए कि अपने कर्मो से हम किसी को कुशी दे सके गम नहीं |वही इंसान इश्वेर की नज़रो में सब से बड़ा होता है और उसके चरणों में स्थान पाता है| </div>
<div style="text-align: left;">
अंत में यही कहना चहुगी कि : हम सब एक है |एक ही रहेगे,</div>
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कुछ चंद लोगो की वजह से अपनी बगिया को बर्बाद नहीं होने देगे| </div>
<span style="font-size: medium;"><br /></span></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-32182906326522958812011-11-24T03:18:00.000-08:002011-11-24T03:41:40.139-08:00निर्माण के खेल का शिकार होती एक और सड़क<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpLEiRwysAoXkQWTqo5sVyUdROpKWMM0HDH8WgzHN_FAeNdSbMe_qbf4sWu609CaH5YDUpET7IOacHHIQ68JXVONlkyh9eZfRIxypMTADusxhyphenhyphen3-Ljzf-N4WCY0ZkeQU_nDW8DVXyS2QU/s1600/camera+pic+088.JPG"><img style="display:block; margin:0px auto 10px; text-align:center;cursor:pointer; cursor:hand;width: 320px; height: 240px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjpLEiRwysAoXkQWTqo5sVyUdROpKWMM0HDH8WgzHN_FAeNdSbMe_qbf4sWu609CaH5YDUpET7IOacHHIQ68JXVONlkyh9eZfRIxypMTADusxhyphenhyphen3-Ljzf-N4WCY0ZkeQU_nDW8DVXyS2QU/s320/camera+pic+088.JPG" alt="" id="BLOGGER_PHOTO_ID_5678521487799971762" border="0" /></a><span style="font-size:85%;"><br /><span style="font-weight: bold;">यह</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">चित्र</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">है</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">एक</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">सड़क</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">का</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">जो</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">बिलकुल</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">सही</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">हालात</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">में</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">थी</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">और</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">आब</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">इस</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">कि</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">हालात</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">आप</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">कि</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">नज़रो</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">के</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">सामने</span><span style="font-weight: bold;"> </span><span style="font-weight: bold;">है</span><span style="font-weight: bold;">!</span></span><br />आप ने अपने आस पास कई बार देखा होगा कि जो सड़क बिलकुल सही थी वो सड़क तोड़ने के अचानक आर्डर आ जाते है और दुबारा से वहा पर निर्माण कार्य शुरू हो जाता है .और यह केवल एक सड़क का उदाहरण नहीं है बहुत से जगह हमको यह देखने को मिलता है जैसे सड़क किनारे पेड़-पोधे लगाना और उन की कोई देखभाल न करना और उनके ख़राब हो जाने पर फिर पेड़-पोधे लगाना.................................................. नए फुटपथो का निर्माण करवाना फिर कुछ समय बाद उनको तुडवाना और फिर उन का निर्माण करवान ............<strong>.अब सवाल यह उठता है कि आखिर यह निर्माण का कोन सा ढंग है जहा देश के विकास के नाम पर सम्पति और आय का यह मेल किया जाता है कि पहेले सम्पति का निर्माण कराया जाये फिर उससे बरबाद किया जाये और फिर निर्माण .........जहा एक और देश मैं इतनी महंगाई बढ रही है वहा इस प्रकार से देश का पैसा क्यों बर्बाद किया जाता है...............और वास्तव मैं जिन जगह इस आय का सही उपयोग होना चहिये वहा तो कोई विकास कार्य नहीं किया जाता है..............<br /></strong>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-27893975602800480602011-03-06T08:22:00.000-08:002011-03-16T00:41:40.565-07:00महंगाई के ढोल की पोलदेश में जब भी कुछ नया होता है तो राजनीतिक गलियारों से लेकर पान वाले ki दुकान तक देश का कोई भी कोना उससे अछूता नहीं रहता है और आज कल तो चारो ओर मंहगाई का शोर ही सुनाई पड़ता है| लेकिन फिर सोचा कि आखिर मंहगाई है क्या ? तो पाया कि यह एक ऐसी समस्या है जिसके अंतर्गत एक आम नागरिक की आम वस्तुए कुछ खास होती चली जाती हैं ओर कई बार तो वो वस्तुए अपनी खासियत की सीमा को इस हद तक पार कर जाती हैं कि खास नागरिको से भी दूर होने लगती हैं |तब लोगों की नींद से भरी आंखे खुलती हैं और उन्हें होश आता है कि देश में मंहगाई बढ रही हैं और इन खास चीजों में मुख्यत: खाधय प्रदार्थ ,दैनिक उपभोग की वस्तुए ,दवाईयां ,आवागमन साधन ,जल ,विधुत का बढता किराया आदि शामिल हैं| लेकिन अक्सर यह देखा जाता है की हम सभी इसका सारा दोष सरकार को देते हैं जो कही की भी इंसानियत नहीं है इसमें कही न कही हम सब भी जिम्मेदार होते हैं| आधे से ज्यादा समस्या तो देश में बढती जनसँख्या के कारण उत्पन्न होती है अब क्या उसके लिए भी सरकार जिम्मेंदार है नहीं| बढती जनसंख्या ,खाद्य प्रदार्थो के उत्पादनं में कमी,बढते ओद्योगीकरण के फलस्वरूप कृषि योग्य भूमि में होती कमी,किसानो का शहरो की और पलायन ,शहरीकरण की दोड़,लोगों का भोतिक साधनों की और बढता रुझान तथा उसकी तुलना में लगातार घटते साधन भी मंहगाई का कारण होते हैं|लगातार बढती महंगाई के लिए जितने आप और हम दोषी है उससे कही ज्यादा सरकार दोषी हैं| कॉमन वेल्थ गेम्स २०१० की आड़ में सरकार राज़ में बहुत महंगाई बढ गयी यदि आपके और हमारे घरो में कोई मेहमान आता है तो घर की सजावट तो सभी करते है पर मेहमानों की खातिर आखिर कोन अपना घर तोड़ कर नए सिरे से बनता है |लेकिन देश में यही हो रहा है, हो भी क्यों न इसकी आड़ में मुनाफाखोरी भी तो हो रही हैं| हमारी सरकार नये -नये मुद्दों की आड़ लेकर महंगाई को बढवा दिया जाता है कभी बाढ़ के नाम पर तो कभी आर्थिक विकास के नाम | यहाँ तक की अपने देश में क्या हो रहा है उसकी खबर भी राजनेताओ को विदेश दोरों से पता चलता है| लेकिन कारणों की कोई सीमा नहीं होती हैं| यदि इस बढती महंगाई को रोकना है तो सरकार को चोरबाजारी ,मुनाफाखोरी पर कड़ा नियंत्रण करना ,उत्पादन बढ़ाना ,निर्यात वृदि करना आदि बहुत से उपाय करने चाहिए और हम सबको भी मिलकर अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को भूल कर राष्ट्र स्वार्थ को महत्व देना चाहिए|और अंत में कुछ पंक्ति कहना चाहूगी-<br />राजनीती के गलियारों में शोर बहुत है ,पर जनता मोंन है ,<br />कि सरकार पलट भी जायगी तो क्या रंग लाएगी |<br />अभी यह पार्टी निचोड़ रही थी,<br />अब दूसरी पार्टी दबा दबा कर खाएगी |<br />और जनता बेचारी वही रह जायगी<br /> महंगाई का बिगुल बजाएगी ||manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-54762329340141552692011-01-11T06:22:00.000-08:002011-01-11T06:26:50.363-08:00jewan ka pahela dwar 'shiksha ka adhikaar'हर मॉं - बाप का सपना होता है कि वह अपने बच्चे को एक सुरक्षित, शिक्षित व सुनहरा भविष्य दें और इस सपने की शुरूआत भी बच्चे के जन्म के साथ ही हो जाती है। हर मॉं-बाप अपने बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं। लेकिन, आज के दौर में माँ-बाप की असली परीक्षा बच्चे के जीवन के प्रथम द्वार शिक्षा, के लिए प्रारम्भिक चरण यानि दाखिले के समय से ही शुरू हो जाती है। माता-पिता विद्यालयों में अपने बच्चों के नर्सरी, के.जी. के दाखिले के लिए जाते हैं। ताकि उनका बच्चे पढ़ लिखकर एक बेहतर भविष्य बना सकें। उसकी पढ़ाई की नीव मज़बूत बन सके। सबसे पहले ही उनके दाखिले को लेकर इतनी समस्याएं माता पिता के सामने आ खड़ी होती हैं कि शिक्षा के मंदिर भी व्यवसाय का केन्द्र नज़र आने लगते हैं। नर्सरी में बच्चे तब एडमिशन प्राप्त कर शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे जब पहले माता-पिता उनके दाखिले के लिए पद्धति का एन्ट्रेंस टेस्ट पास कर पाएंगे अर्थात् अब नर्सरी के प्रवेश के लिए पहले माता पिता को पढ़ना होगा।<br />नए साल की शुरूआत के साथ ही शिक्षा निदेशालय के आदेशानुसार स्कूलों में रजिस्ट्रेशन के लिए 1 से 15 जनवरी तक का समय दिया गया और अधिकतर स्कूल इसी समय सीमा के मुताबिक ही एडमिशन प्रोसेस कंडक्ट कर रहे हैं, जिसमें ऑन लाइन रजिस्ट्रेशन भी उपलब्ध है। साल के पहले ही दिन से माता पिता अपने बच्चे के नर्सरी में दाखिले के लिए इस दौर में दौड़ते नज़र आ रहे हैं। इस दाखिले की दौड़ में माता पिता की दौंड लगवाने वाले कुछ नामी ग्रामी स्कूलों की लिस्ट में सबसे ऊपर एयर फोर्स बाल भारती स्कूल, माउंट आबू पब्लिक स्कूल, स्प्रिंगडल्स स्कूल, दिल्ली पब्लिक स्कूल, ज्ञान भारती स्कूल आदि शामिल हैं। इन सभी स्कूलों में रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के फार्म को भरना बहुत जटिल है। जिन्हें समढने में ही माता पिता को काफी मुश्िकलों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों ने इस प्रोसेस में कुछ पाव्इंट्स भी शामिल किए है जिनमें कुछ बिन्दू हैं, बच्चे की उम्र, आस पड़ोस, फसर्ट चाइल्ड, गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड विद स्पेशल नीड़, सिंग्ल पैरेंट्स, फिजिकली चैलेंजेंड चाइल्ड आदि स्पेशल है। इन्हें अच्छे व अधिक अंक दिए जाते हैं। इन फार्मों के अंदर इतनी अधिक चीजें पूछी गई हैं कि माता पिता को फार्म भरने में ही काफी मशक्त करनी पड़ रहीं हैं। पहले फार्म पाने के लिए 2 से 3 घंटे लाइनों में लगना, उसके बाद उसे भरने की प्रक्रिया पूरी कर उसे जमा कराना। इस प्रक्रिया को करने में प्रत्येक माता पिता को 8 से 10 बार करनी पड़ रही है क्योंकि हर माता पिता अपने बच्चे के लिए कम से कम 8 से 10 स्कूलों में रजिस्ट्रेशन करावा रहे हैं। जहां सरकार ने माता पिता की सुविधा के लिए फार्म की कीमत केवल 25 रुपए तय की हुई हैं वहीं स्कूल इस फार्म के साथ प्रोस्पेक्टस खरीदने के लिए भी माता पिता को बाध्य कर रहे हैं, जिसकी कीमत 100 से 500 रुपए के बीच है। उनका कहना है कि फार्म तभी मिलेंगे जब प्रोस्पेक्ट्स खरीदेगें क्योंकि फार्म भरने की पूरी प्रक्रिया इस फार्म के अंदर ही है। प्रोस्पेक्ट्स नहीं तो दाखिला नहीं और दाखिला तभी होगा जब फार्म ठीक ठीक वैसा ही भरा होगा, जैसा कि प्रोस्पेक्ट्स में लिखा है। इस लिए सबसे पहले फार्म भरना ही माता पिता के लिए एक सिरदर्द बना हुआ है।<br />अभी तक हमने एक बच्चे के दाखिले को लेकर स्कूलों की मनमानी और माता-पिता की समस्या के बारे में बात की । यदि गौर किया जाए तो इन सब के लिए जि़म्मेदार कौन है, सरकार इन स्कूलों की मनमानी के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा पहीं हैं। माता पिता सुबह 5 बजे से लाइनों में लगे क्यों इतनी मारामारी सह रहे हैं। अब विचार करने योग्य बात यह है कि इन स्कूलों की इतनी मनमानी दिन पर दिन क्यों बढ़ती जा रही है। रूकूलों की दिन पर दिन बढ़ती मनमानी के पीछे सबसे बड़ा कारण है इन स्कूलों के प्रति माता-पिता का बढ़ता क्रेज़। जिन लोंगों ने इन विद्यातयों को इस स्तर तक पहुँचाया है उन्हीं विद्यालयों की मनमानी आज न चाहते हुए भी हर माता पिता को अपने बच्चों के दाखिले के लिए सहनी पड़ रही है और सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी सादे नज़र आ रही है।<br />इन विद्यालयों की बढ़ती मनमानी और इसके बाबजूद भी इन्हीं स्कूलों में अपने बच्चों के दाखिले के लिए माता-पिता का बढ़ता क्रेज क्या सरकारी स्कूलों और कम फीस वाले स्कूलों की शिक्षा प्रणाली/ स्तर पर सवालियां निशान खड़ा नहीं करते। क्या जो सरकार इन स्कूलों को मान्यता प्रदान करती है वहीं सरकार अपने स्कूलों के शिक्षा तंत्र को इतना मज़बूत नहीं समढती कि लोगों को अपने बच्चचे को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकें ? जबकि सरकारी स्कूलों में एक एक शिक्षक का चयन इतनी योग्यताओं, अनुभवों व जटिल चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद किया जाता है। नर्सरी कक्षा के लिए भी शिक्षक की योग्यता कम से कम बी.एड. पास है क्योंकि इससे कम योग्यता वाले शिक्षक तो स्कूलों में पढ़ा भी नहीं पाते हैं। फिर क्यों हर माता-पिता अपने बच्चों के दाखिले के समय पब्लिक स्कूलों का मुँह देखते हैं, उनकी मनमानी सहते हैं और समझते हैं कि पब्लिक स्कूलों में शिक्षा बेहतर होती है इसलिए उनका रिजल्ट भी बेहतर होता है। यदि देखा जाए तो सरकारी स्कूलों का रिजल्ट पब्लिक स्कूलों से कम नहीं होता है। आज जो भी माता-पिता सार्मथवान है वह अपने बच्चों को पब्लिक स्कूलों में ही पढ़ाना चाहते हैं यह सब केवल ऊँची ऊँची बिल्डिंगों का ही प्रभाव है, या शिक्षा में भी अंतर होता है या पिफर यह सब माता-पिता के स्टेटस सिम्बल को भभ् प्रदर्शित करता है अाखिर यह सब क्या है। इन सबके बीच सदैब मध्यम वर्ग के आदमी को क्यों पिसना पड़ता है। वह इन नामी स्कूलों में अपने बच्चे चाह कर भी नहीं पढ़ा सकता क्योंकि उसकी महीने की आमदनी से भी अधिक उसके बच्चे के स्कूल की महीने की फीस ही होती है। यदि माता पिता अपना बच्चा उन स्कूलों में पढ़ता है जो स्कूल नामी ग्रामी स्कूल से कम स्तर पर होते है और उनकी फीस भी सामान्य लगती है तो भी माता पिता को इन स्कूलों की फीस की मार सहनी पड़ती है क्योंकि यह स्कूल भी उन बड़े बड़े स्कूलों की तरह अपनी फीस अधिक करके मनमानी करते हैं। इन सब समस्यों को देखते हुए क्यों मुठ्ठी भर लोगा ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहते हैं। <br />अखिरकार क्या शिक्षा अब केवल शिक्षा न रहकर व्यवसाय और दिखावें की दुनिया तक सीमित रह जाएगी। आगे शिक्षा का भविष्य क्या होगा यह चिन्तनीय विषय है। <br />- मनु शर्माmanu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com15tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-79043438983612105812010-09-07T08:31:00.000-07:002010-09-07T08:38:47.291-07:00कॉमन वेल्थ खेल का खेल<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTUWHz5uqEhWs1PaYKj40iynOzP0PWotORjX_z2EM7YqBNrcSQ_TLGqCND1G7gcMQuvanjEvMFkuvTEpTqNF0dL3KNignsPSbRTA76NyyWaWeQQ0V7pEXgaulWxz7GUEJsDxOKendigBE/s1600/images%5B7%5D.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5514196121754683602" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 135px; CURSOR: hand; HEIGHT: 81px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTUWHz5uqEhWs1PaYKj40iynOzP0PWotORjX_z2EM7YqBNrcSQ_TLGqCND1G7gcMQuvanjEvMFkuvTEpTqNF0dL3KNignsPSbRTA76NyyWaWeQQ0V7pEXgaulWxz7GUEJsDxOKendigBE/s320/images%5B7%5D.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div align="left">जिस विषय पर सारी दुनिया में विवाद है भारी,<br />वह कॉमनवेल्थ २०१० खेलो की है तेयारी<br />झेल रही है जिसे दिल्ली की जनता सारी,<br />फुटपाथो से लेकर सज रही है स्टेडियम की बत्ती सारी<br />मेहमान नवाजी के लिए तेयार है शीला सरकार हमारी,<br />आंखे मूंद कर रही है सभी तेयारी<br />विरोधी पार्टियों ने भी उठाई है आवाज़ ये भारी,<br />घोटालो की लग चुकी है खेलो को बीमारी <br />१५ दिनों की है इन्द्रधनुषी बरसात ये प्यारी ,<br />और प्रशासन ने पहेले ही कर ली अपनी जेबे भारी<br />मीडिया दिखता है जब असलियत सारी ,<br />तो आंखे फेर लेती है सरकार हमारी<br />कॉमनवेल्थ खेलो पर ही टिकी है अब तो नज़रे सारी,<br />पर जरा कॉमन मेन को भी पूछ लीजिये ,<br />आखिर उस्सी ने तो झेली है मुसीबते सारी<br />कॉमन मेन का जो हो रहा बुरा हाल है,<br />ये केवल कॉमनवेल्थ खेलो का ही कमाल है<br /><br /><br />-- </div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-16093388828705521242010-08-15T00:05:00.000-07:002010-08-15T00:26:31.426-07:00हम आजाद है<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDKor1K0ouowVSfEa-dfBHKIgQZ4P0EqQpbZ1yzBHVHJHlpHhRoE5Qo_6u3yaBLQUk-bvQKJJ2C-nO0zbbkZfabEjKwVtNllANeRBVZ-BWylfrTPiBNDaxZ7A2u3a3UE68_FfCViwhhhY/s1600/Image0711.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5505531565306266034" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 195px; CURSOR: hand; HEIGHT: 215px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgDKor1K0ouowVSfEa-dfBHKIgQZ4P0EqQpbZ1yzBHVHJHlpHhRoE5Qo_6u3yaBLQUk-bvQKJJ2C-nO0zbbkZfabEjKwVtNllANeRBVZ-BWylfrTPiBNDaxZ7A2u3a3UE68_FfCViwhhhY/s320/Image0711.jpg" border="0" /></a><br /><div align="left"><span style="color:#ff6600;">आज हम आजाद है ,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">यह जश्न की बात है,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">पर शहीदों की शहादत ,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">आज किसको याद है </span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">अपने जीवन को मिटा,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">आजाद हम को कर गए, </span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">राष्ट्र भावना के लिए,</span></div><div align="left"><span style="color:#ff6600;">हँसते हुए बिखर गए </span></div><br /><div align="left"></div><br /><div align="center"><span style="color:#ffff66;">आज उस आज़ादी का,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">मोल हम खो रहे,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">क्रांति के बीज अब,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">हम नहीं बो रहे </span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">बढ़ना है आगे हमें,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">यह सोच अपना रहे,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">बिना सोचे समझे ,</span></div><div align="center"><span style="color:#ffff66;">आगे बढते ही जा रहे </span></div><br /><div align="center"><span style="color:#ffff66;"></span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">विकास के नाम पर ,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">छोटे -बड़े सब साथ है,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">देश फिर गुलाम हो रहा,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">इस बात से अज्ञात है </span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">फंस चुका है देश आज,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">फिर विदेशी जाल में,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">हो रहा दिवालिया ,</span></div><div align="left"><span style="color:#3333ff;">भ्रष्ट्राचार के संजाल में</span></div><br /><div align="center"></div><div align="center"><span style="color:#009900;">रक्षक ही भक्षक बने,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">क्या दे़ख नहीं पा रहे?</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">फिर भी अपने आप को ,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">आजाद कहे जा रहे,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">फिर भी अपने आप को,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">आजाद कहे जा रहे </span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">हम खुश है आज की ,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">आज हम आजाद है,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">आज़ादी की ख़ुशी ,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">हम सब के साथ है,</span></div><div align="center"><span style="color:#009900;">यह भी तो जश्न की बात है </span></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-79630177887667352052010-08-01T03:00:00.000-07:002010-08-01T03:29:32.683-07:00<div align="left"><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq8hyphenhyphenE4bDY3gXzYlpcQwmg7fSANg4sgL5njObUyp_S3j6CwuInf0AB-KiUBBwqEUlBzCxL_LtvO_0hQB_O-rYqfreIFZZoT2j2qeWpWaMZOT_8UbEwFB4H0ll9006V5TKhX6p20VqvlhI/s1600/images%5B11%5D.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5500385390717376642" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 116px; CURSOR: hand; HEIGHT: 116px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjq8hyphenhyphenE4bDY3gXzYlpcQwmg7fSANg4sgL5njObUyp_S3j6CwuInf0AB-KiUBBwqEUlBzCxL_LtvO_0hQB_O-rYqfreIFZZoT2j2qeWpWaMZOT_8UbEwFB4H0ll9006V5TKhX6p20VqvlhI/s320/images%5B11%5D.jpg" border="0" /></a><br /></div><div align="justify">रक्त सम्बन्ध का तो नहीं ,पर उससे भी बढकर इस संसार <span class="">में,</span></div><div align="justify"><br /></div><div align="justify"><span class=""></span>लोगों के मध्य एक अनमोल रिश्ता बन जाता <span class="">है,</span></div><div align="justify"><br /></div><div align="justify"><span class=""></span>वह रिश्ता </div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">हिमालय की गोद से गिरे खुले पानी की तरह <span class="">बहता </span>हुआ ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">सभी बन्धनों से मुक्त एक स्वतंत्र रूप लिए हुए ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">मनो तो प्यार का अमृत,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">न मनो तो सिर्फ एक दूसरे के चेहरों की पहचान ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">लेंन -देन ,भेद-भाव,उंच - नीच की भावना से बहुत उपर ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">दिलो का वह प्यारा सा बंधन ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">कोई और नहीं दोस्ती का <span class="">है,</span> </div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">जो हम सभी के जीवन में बहुत ही कीमती है ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">जिस की कीमत को कभी कोई आक नहीं सकता ,</div><div align="justify"><br /></div><div align="justify">अपने जीवन में दोस्ती की बगिया को आप हमेशा हरा भरा रखे ,इस अनमोल रिश्ते को आप सभी सहेज कर रखे इसी आशा के साथ आप सभी को आज friendship day के अवसर पर बहुत बहुत बधाई</div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-54415485060710887362010-05-09T23:56:00.000-07:002010-05-10T00:17:00.112-07:00मेरी माँ मेरी दुनिया<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBrIwg_NKUM1kcW4kBKDDBjLihCN5BzwVAC8fXfRcXLYlYhOHUgxlrarO17ub0sajQRYkCQRwmaKfgEINtnh6rGdLFC0t9xTlxVTsiJwspKAHIRZVXD5Det0Rlsx-0tc85lw0Bbj1KHfI/s1600/DSC_0100.JPG"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5469536801530956082" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 366px; CURSOR: hand; HEIGHT: 400px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiBrIwg_NKUM1kcW4kBKDDBjLihCN5BzwVAC8fXfRcXLYlYhOHUgxlrarO17ub0sajQRYkCQRwmaKfgEINtnh6rGdLFC0t9xTlxVTsiJwspKAHIRZVXD5Det0Rlsx-0tc85lw0Bbj1KHfI/s400/DSC_0100.JPG" border="0" /></a><br /><div>मुझको जीवन देने वाली तुम ही माँ मेरी ,<br />हाथ पकड़ चलने वाली तुम ही हो माँ मेरी ,<br />क ,ख,ग का पहला आखर तुमने ही सिखलाया ,<br />कोन सही और कोन गलत मुझको यह बतलाया ,<br />मुझको तो कोई मान न था,<br />भले बुरे का ज्ञान न था,<br />जब-जब में रहा भटका राह दिखाई माँ तुमने ,<br />ज़वा हुआ तो मित्र बनाकर गले लगाया माँ तुमने ,<br />अपने बच्चो की खातिर ,जीवन अपना त्याग दिया ,<br />मातृत्व की करूणा का ,हर पल तुमने एहसास दिया,<br />जीवन की राह में जब भी खुद को तान्हा पाता हू ,<br />तुम्हारे आँचल की छाव को मैं अपने सिर पर पाता हू,<br />कहने को है बहुत मगर ,<br />शब्द कम पेजाते है,<br />अंत मैं मेरे पास बस,<br />यही शब्द रह जाते है,<br />तुम रूठ न जाना माँ मेरी ,<br />तुम बिन कैसे रह पाउँगा ,<br />इस जीवन की नया में मैं सब रिश्ते पा जाऊंगा<br />पर यही सोच घबराता हू<br />में माँ कहा से लाऊंगा,<br />में माँ कहा से लाऊंगा </div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-6259871570810504072010-03-10T06:22:00.000-08:002010-03-10T07:00:54.326-08:00<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjMkWAPYcSuscYDnWNMOHyHK_L_CfBvACLXuqoxioZJnBVh7HyNT-HkCfUPZEafj9flWzhOJ_sMM-n7g-eprVzAikaOpXgGazxlp1nPZHDPY3U99YpVIv3_rvxhnzu5eNc18ieEqbL8aD4/s1600-h/images%5B4%5D.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5447020240946170274" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 72px; CURSOR: hand; HEIGHT: 94px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjMkWAPYcSuscYDnWNMOHyHK_L_CfBvACLXuqoxioZJnBVh7HyNT-HkCfUPZEafj9flWzhOJ_sMM-n7g-eprVzAikaOpXgGazxlp1nPZHDPY3U99YpVIv3_rvxhnzu5eNc18ieEqbL8aD4/s400/images%5B4%5D.jpg" border="0" /></a><br /><div align="center">जिंदगी से जब <span class="">मेंने </span>यह प्रश्न किया </div><br /><div align="center">ऐ जिंदगी यह तुने क्या किया </div><br /><div align="center">जिंदगी की राह पर <span class="">मुझे </span>यू अकेला छोड़ दिया</div><br /><div align="center"><span class=""></span>जिंदगी ने हर बार यही उत्तर दिया </div><br /><div align="center">जो दिया वो क्या कम दिया</div><br /><div align="center"><span class=""></span>जिंदगी के हर कदम पर तेरे हर एक कर्म पर</div><br /><div align="center"><span class=""></span>तुझे जीवन का सबब दिया </div><br /><div align="center">वो क्या कम किया</div><br /><div align="center"><span class=""></span>फिर भी पूछता है मुझसे मेंने तुझे क्या दिया </div><br /><div align="center">सुख़ की <span class="">छाव </span>हो या गमो की घटा हो </div><br /><div align="center">हर दम तेरे साथ जिया हर घूंट तेरे साथ पिया</div><br /><div align="center"><span class=""></span>सुख़ कम गम खूब दिया </div><br /><div align="center">तो क्या किया </div><br /><div align="center">जिंदगी के हर एक पहलू से तुझे अवगत किया </div><br /><div align="center">वो क्या कम किया </div><br /><div align="center">फिर भी पूछता है मुझसे मेंने तुझे क्या दिया </div><br /><div align="center">जिंदगी में पाना जिंदगी में खोना </div><br /><div align="center">हर पल एक नयी साँस से नया जीवन जीना </div><br /><div align="center">तुझे सब सिखा दिया </div><br /><div align="center">वो क्या कम किया </div><br /><div align="center">फिर भी बार बार मुझसे यही प्रश्न किया </div><br /><div align="center">तुने जीवन में मुझे क्या दिया ,</div><br /><div align="center"><span class=""></span>मेंने फिर भी तुझे यही उत्तर दिया </div><br /><div align="center">जो दिया वो क्या कम दिया </div><br /><div align="center">इस छोटी सी जिंदगी मैं</div><br /><div align="center"><span class=""></span>तेरे पुरे जीवन का सार तुझे समझा दिया </div><br /><div align="center"><span class=""></span><span class="">वो </span>क्या कम किया फिर भी पूछता है मुझसे </div><br /><div align="center">ऐ जिंदगी ये तुने क्या किया </div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-17502940509959428082009-11-02T04:08:00.000-08:002009-11-02T04:45:14.207-08:00इतिहास के पन्नो से मेरा अस्तित्वतेरी हर राह पर दुश्मन है तो क्या ?<br />तुझे हर जंग जीतनी है,<br />तेरी आँखों में आज नमी है तो क्या?<br />तुझे कल जमी जीतनी है,<br />जिस प्रकार से नारी आज विकास कर रही है तो एक दिन वो जमी जरूर जीतेगी ,परन्तु नारी की आँखों की ये नमी आज की नहीं बल्कि सदियों पुरानी दांस्ता का हिस्सा है जो कभी थमी तो नहीं है ,हा सूखने का प्रयास जरूर किया है स्रष्टी के रचियता ब्रह्म नारी को वर्चस्व प्रदान करने हेतु पुरुष और महिलायों में भेद रखा लेकिन उसे क्या पता था की उसके वर्चस्व प्रदापी यह गुण नारी को सबला से अबला बना देगा अतीत के पन्नो का यदि देखे तो हम पायगे की अति प्राचीन सभ्यता युग से नारी सबला हुई ऐसा इतिहासकार बताते है की ये समय मात् सचात्मक था इस समय नारी को धार्मिक अनुष्टान आदि का सामान अधिकार था बहुसंख्या में मिली नारी मूर्तियों से इस के प्रमाण भी मिलते है स्त्री प्रधानता का यह दोर वैदिक काल तक इसी सहजता के साथ चलता गया यहाँ से हमें नारी के अबला सवरूप के दर्शन हुए वैसे तो स्त्री को गृहलक्ष्मी और देवी की संज्ञा प्राप्त थी परन्तु देवी लक्ष्मी का स्थान भी सदेव विष्णु के चरणों के करीब ही रहा है यही कारन है की देवी के उस काल में भी मात्र देवी की भाति एक कमरे में कैद होकर रह गयी मध्य काल युग नारी शोषण का अगला चरण था अब वह भोग की वस्तु बन कर रह गयी थी मुग़ल काल में पर्दा प्रथा का आना , धीरे -धीरे अन्य कुरीतिया स्त्री के साथ जुड़ती चली गयी जैसे बाल विवाह, विधवा नियम ,सती प्रथा आदि आ गयी अब नारी पति की सह्चारी नहीं बल्कि उसकी अनुचरी होने लगी लेकिन फिर भी नारी को त्रिया चरित्रं की संज्ञा दी गयी और तुलसीदास ने भी नारी के आठ अवगुण बताये <span class=""> है</span><br /><span class="">नारी </span>स्वाभाव सत्य कवी कहहि,<br />अवगुण आठ सदा उर रहहि<br /> सहज, अजित्य ,चपलता, माया,<br /> भय ,अविवेक ,अशोच ,अदाया<br /> नारी स्वाभाव के इसी गुण का शायद परिणाम था की दुनिया के सबसे पुराने व्यवसाय के रूप में वेश्यालयो का वास्तविक स्वरुप सामने आया इन वेशायालयो का स्वरुप तो जरूर बदला पर यह संस्था कभी बंद नहीं हुई और फिर भी विडम्बना यह की इस का भी सारा दोष नारी को ही दिया आखिर क्यों?परन्तु अब नहीं अब नारी अस्तित्व में आने लगी थी वो कहते है न आखिर अँधेरा कब तक रहेगा ,कभी तो सूर्य का चमकीला प्रकाश उजाला देगा और यही हुआ जो नारी गृहकार्यो में दक्षता के साथ -साथ अब संगीत कला ,नृत्य कला,चित्रकारी ,कसीदाकारी में भी दक्षता प्राप्त करने लगी और अपने घरो में सहयोग देने लगी कुछ असर किराश्चन मिशनरीज के आगमन का भी जरूर हुआ जो भारतीये समाज में स्त्री दशा के लिए एक नयी सुबह के समान था अब लड़कियों की शिक्षा पर भी बल दिया जाने लगा ।और वे अध्यापिका के पद पर भी नियुक्त किया जाने लगा इस समय एक मिथ तो जरूर टुटा की भारतीये समाज एक पुरुष प्रधान समाज हैधीरे -धीरे विभिन् कानून बने ,जैसे सिविल मेंरिज एक्ट ,विधवा विवाह अधिनियम आदि ]जो महिलायों के हक में थे अब स्त्री के पैरो की बेडिया खुलने लगी थी कहेते है यह संसार परिवर्तनशील है यहाँ हर पल हालत बदलते रहते है स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व तक नारीजाती को शोषण का शिकार बनाया जाता रहा ,पर आधुनिक युग नवजागरण का युग था विश्व भर में नारी स्वातंत्र्य का युग (woman's lib movement)चल पड़ा था इसमें का प्रभाव भारतीये नारियो पर भी पड़ा गत वर्षो में नारी जगत में काफी प्रगति द्रष्टिगोचर हुई इस का अन्ये कारण नारी शिक्षा में विकास भी था और धीरे -धीरे प्रयासों के बाद आज हालत यह है की कई राज्यों सहित देश के प्रमुख पदों तक महिलाये अपने का निर्वाहन कर रही है आज स्त्री अपने को समस्त कार्यो के लिए सक्षम समझती है और वास्तव में वो हर कार्ये सफलता पूर्वक सम्पूर्ण भी कर रही है पर क्या जो प्रत्यक्ष रूप से नज़र आता है वो सदा सच होता है क्या स्त्री की जिस झलक हम दे़ख रहे है वो सही है?क्या आज भी नारी को उस के प्रदत अधिकार मिल गए है ,या वो उन का प्रदत अधिकारों का उपयोग कर पा रही है शायद नहीं? क्यकी कुछ प्रतिशत महिलायों को छोड़ कर आज भी ऐसी स्त्रिया है जो आज भी वही जिंदगी जी रही है जिन बेडियों के हम टूटने की बात कर रहे है हम माने या न माने पर यह सच है की आज की नारी भी पूर्णरूप से सशक्त होते हुए भी खुद को कमजोर मानने पर विवश है ,भले घरो से बहार निकल कर वे आज अपने पुरुष साथियों के साथ काम कर रही हो फिर भी कही न कही उन्हें बहुत सी बातें सुननी पड़ती है ,जैसे यदि पुरुष कितनी ही महिला मित्र बना ले पर स्त्री का पुरुष मित्रो का होना आज भी चरत्रिक दोष है,ऐसे ही यदि कोई पुरुष गली में हँसता हु तेज़ आवाज़ में बोलता हुए निकले तो कोई दोष नहीं पर यही काम कोई स्त्री करे तो उसे 'बेशर्म कही की' जैसे नामो से जरूर नवाजा जाता है ऐसा नहीं है की हमारे समाज में नारी का अपमान ही किया जाता है उसे सम्मान भी दिया जाता है एक माँ ,बेटी ,बहन बीबी के रूप में और हमेशा यह भी कहा जाता है की एक सफल पुरुष के पीछे एक नारी का हाथ होता है ,लेकिन इस सच्चाई के पीछे भी एक बड़ी कड़वी सच्चाई है की इस सफलता के बाद भी सदेव स्त्री पीछे ही रहती है आगे कदापि नहीं आती ऐसा क्यों है की इतिहास से लेकर आज तक सम्पूर्ण रूप से सशक्त होते हुए भी नारी की आखो की नमी सूख नहीं रही है और वो यह कहती है की -इतने हिस्सों में बंट गयी हूँ मैं,फिर भी अपने को ढूँढती हूँ क्योकि मैं एक नारी हूँ ..........................manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-65392580976338383142009-09-17T07:28:00.000-07:002009-09-17T07:42:59.947-07:00पहला एहसास<div align="center"><strong><span style="color:#666600;">15 वर्ष की उम्र में ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">देखा था तुझे जब पहली बार,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">धड़का का था यह दिल होकर बेकरार,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">पर मुझे तो था उस दिन का इंतज़ार ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">जब होगे मेरे सपने साकार ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">तुझे पाने के लिए बरसो इंतज़ार ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">तेरे काबिल बनने को ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">ख़ुद को किया बरसो तैयार ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">जीवन के हर पड़ाव को ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;"><span class="">किया हँस</span> कर पार ,</span></strong></div><div align="center"><strong><span style="color:#666600;">रास्ते में हुई चाहे,</span></strong></div><div align="center"><span class=""></span><strong><span style="color:#666600;"> मुश्किलों की कितनी ही बरसात </span></strong></div><span class=""></span><br /><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>अब तेरे आने से ही तो ,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>जीवन मेरा सम्पूर्ण हो पाया है,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>जीने की बस तू ही प्रेरणा ,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>तू ही मेरा हमसाया है,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>तू ही है वो तू ही है,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>जिसने जीवन में मुझे ,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>सही मार्ग दिखाया है,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>मुझे मेरे जीवन में प्रगति पथ पर बढाया है,</strong></span></div><div align="center"><span style="color:#990000;"><strong>तेरे संग ही जीवन मेरा सम्पूर्ण हो पाया है</strong></span></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-14953547975306347842009-05-30T04:05:00.000-07:002009-05-31T00:46:57.068-07:00मुझ में भी है जीवन<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfy4UJCks7wNlY8rP_Y-DGZvvyCetJtbyJ-F3wbqmF0zZXVIaQuRZ1tGNttqb18hM4HNeAuYAt5d9Nbr2l8Iw_OySdHCdrIDdEwcBX5c3HXICdMtMqQJLlXSvpwnU7AAqUHgr2r3MWvQI/s1600-h/tree%5B1%5D+(2).jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5341890732424916738" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 300px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjfy4UJCks7wNlY8rP_Y-DGZvvyCetJtbyJ-F3wbqmF0zZXVIaQuRZ1tGNttqb18hM4HNeAuYAt5d9Nbr2l8Iw_OySdHCdrIDdEwcBX5c3HXICdMtMqQJLlXSvpwnU7AAqUHgr2r3MWvQI/s400/tree%5B1%5D+(2).jpg" border="0" /></a><br /><br /><div align="left"><em>बीज से पैदा हुआ हू </em></div><br /><br /><div align="left"><em>जड़ो से हु जुडा</em></div><br /><br /><div align="left"><em>जुड़कर जड़ो से एक <span class="">तने </span>ने</em></div><br /><br /><div align="left"><em>मुझको किया खड़ा ,</em></div><br /><br /><div align="left"><em><span class=""></span></em> </div><div align="left"><em><span class=""></span></em> </div><div align="left"><em>तने की कुछ शाखाओ से </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>मुझको यह सुंदर रूप मिला </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>उन पर लिपटे सुंदर </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>पत्तो से हु <span class="">मैं </span><span class="">जड़ा ,</span></em></div><br /><br /><div align="center"><span class=""><span class=""></span><em>धुप मैं <span class="">छाव </span>मैं देता तुमको </em></span></div><div align="center"><br /></div><div align="center"><em>भूख मैं देता फल </em></div><div align="center"><br /></div><div align="center"><em>मुझको प्रेम करो तुम सब </em></div><div align="center"><br /></div><div align="center"><em>मैं तुम को देता जीवन </em></div><br /><br /><div align="left"><em>तुम से मैं हु मुझ से तुम हो </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>यह है सत्य वचन </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>मुझे अब न काटना तुम </em></div><div align="left"><br /></div><div align="left"><em>आखिर मुझ मैं भी है जीवन </em></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-39885761785140993112009-04-15T02:29:00.000-07:002009-04-15T03:31:44.729-07:00शिक्षा के मन्दिर में यह कैसा दृश्य<p> अप्रैल का महिना है और विद्यालयो में प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इन दिनों जब सुबह सुबह समाचार पत्र उठा कर देखो तो उस में अक्सर यही खबर देखने को मिलती है की विद्यालय वाले पूर्ण रूप से अपनी मनमानी पर उत्तरे हुए है और माँ बापों को बहुत सी दिकतो का सामना करना पड़ रहा है और शिक्षा निदेशालेये में भी परेंट्स की शिकायतों का अम्बार लगा हुआ है और यहाँ तक की निदेशालेये ने कई विद्यालयो के प्रति कड़े कदम भी उठए है यह सब पड़ कर आप को लग रहा होगा की यह तो आम बात है और विद्यालय वाले तो होते ही ऐसे है पर एक बात हमेशा ध्यान में रखनी चाइए की ताली कभी भी एक हाथ से नही बजती </p><p>आज जब सुबह सुबह में एक स्कूल में गई तो पाया की वहा के प्रिंसिपल और किसी परेंट्स के बीच कुछ कहा सुनी हो रही थी और धीरे धीरे बात यहाँ तक बढ गई की परेंट्स प्रिंसिपल के साथ मार पिटाई करने पर उत्तारु हो गयाऔर जब में ने सारा मामला जन तो पाया की पहेले उस वैयक्ति का बच्चा उस स्कूल में पड़ता था और अब उन के स्कूल से टी.सी. भी प्राप्त कर चुका था पर कही और प्रवेश न मिल पाने के कारन वह वैयक्ति प्रिंसिपल से इस बात पर लड़ रहा था की मेरे बच्चे का नए स्कूल में प्रवेश तुम करा कर दो ,व्हो भी वहा जहा में कहू </p><p>आज के समय में सभी माँ बाप अपने बच्चो को अच्छी से अच्छी शिक्षा देना चाहते हैपर शिक्षा के जिस मन्दिर में आप स्वयम इस प्रकार की गति विधिया करेगे जब आप ही एक शिक्षक का निरादर करगे तो आप सोचे की आप अपने आने वाले कल को क्या दे रहे है आप अपने जिस बच्चे को अच्छी शिक्षा देना चाहते है व्हो आप से किस प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर रहा है आप अच्छे स्कूल में पड़ा कर अपने बच्चे को अच्छा इन्सान नही बना सकते अच्छा इंसान व्हो तभी बनेगा जब आप उससे अपने घर से ही अच्छी ज्ञान की बाते सिखा रहे हो,और बात रही शिक्षा निदेश्ल्याओ में शियाकतो के दर्ज होने की तो में आशा करती हु की यह समिति कोई भी फ़ैसला एक तरफा नही करे ,क्योकि गलती हमेशा स्कूल वालो की ही नही होती कभी- कभी परेंट्स का भी उतना ही सहयोग होता है</p><p> </p>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-62613540726956999082009-04-08T03:19:00.000-07:002009-04-08T04:33:05.654-07:00मैं और मेरे पिताजी<ul><li>जब मैं ५ साल का था (इससे पहेले की बातें मुझे याद नही ),तब सोचता था -मेरे पिताजी दुनिया के सबसे स्मार्ट और सबसे ताकतवर इंसान है </li><li>१० साल की उम्र मैं मेंने महसूस किया की मेरे पिताजी हर चीज का ज्ञान रखने वाले और बेहद समझदार भी है </li><li>जब मैं १५ का हुआ तो महसूस करने लगा की मेरे दोस्तों के पापा तो मेरे पिताजी से भी ज्यादा समझदार है</li><li>२० साल की उम्र मैं मैंने पाया की मेरे पिताजी को दुनिया के साथ चलने के लिए कुछ और ज्ञान की जरुरत है </li><li>२५ साल की उम्र मैं मेरी यह सोच बनी की मेरे पिताजी किसी और दुनिया के है और वह नए ज़माने के साथ नही चल सकते </li><li>३० साल का हुआ तो महसूस किया की मुझे किसी भी काम के बारे मैं उनसे सलाह नही लेनी चाहिए क्योकि उन्हें हर काम मैं नुक्स निकालने की आदत सी पड़ गई है</li><li><span class="">३५ साल की उम्र मैं मैंने महसूस किया की आब पिताजी को मेरे तरीके से चलने की समझ आ चुकी है ,इस लिए छोटी- मोटी बातो पर उन की सलाह ली जा सकती है </span></li><li><span class="">जब मैं ४० साल का</span><span class=""> हुआ तो महसूस किया की कुछ जरुरी <span class="blsp-spelling-error" id="SPELLING_ERROR_0">mamlo</span> मैं पिताजी की s<span class="blsp-spelling-error" id="SPELLING_ERROR_1">alaha</span> लेना जरुरी है </span></li><li><span class="">५० साल की उम्र मैं मुझे लगा की पिताजी की सलाह के बिना कुछ नही करना चाहिए ,और १५ साल की उम्र के बाद की मेरी धर्नाये ग़लत थीअब मेरे बच्चे बड़े हो चुके थे परन्तु अफ़सोस ,इससे पहेले की mein apne is faisle par amal kar pata, mere पिताजी इस संसार को अलविदा कहे गए और मैं उनकी हर सलाह व तजुर्बे से वंचित रहे गया </span></li><li><span class="">बेटा समझता है ,बाप बनने के बाद !</span></li><li><span class="">बेटी समझती है, माँ बनने के बाद !</span></li><li><span class="">बहु समझती है ,सास बनने के बाद !</span></li></ul><p><span class="">यह सब मैंने एक समाचार पत्र मैं पढ़ा और चाह कि आप के साथ शेयर करू और unka bhi shukriya करू जिस ने इतना अच्छा लेख लिखा </span></p>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-27108188030273486552009-03-10T06:51:00.000-07:002009-03-10T07:49:56.898-07:00उडा ले गए सिर से छत भी<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgijy1aB-hwNygZ81CUyMRd7EFGhB9w0I0u5mp2FhgnGXxztLImaB47wUav_UGkaBP5j5sZrSQSiSR5mXOx5oJ1M0ObaJLD-2-SZdx1cy3VqaeHKNBlIrh7lwLZai_tBY9Yl9QGw36coHU/s1600-h/Image0469.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5311570320975199618" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 300px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgijy1aB-hwNygZ81CUyMRd7EFGhB9w0I0u5mp2FhgnGXxztLImaB47wUav_UGkaBP5j5sZrSQSiSR5mXOx5oJ1M0ObaJLD-2-SZdx1cy3VqaeHKNBlIrh7lwLZai_tBY9Yl9QGw36coHU/s400/Image0469.jpg" border="0" /></a><br /><div>बात आज से करीबन दो या तीन महीने पहेले की है जब हम सुबह सुबह घर से घूमने जाने के लिए निकले तो पाया की हमारे इलाके यमुनापार (शास्त्री पार्क ) में भी लोगो के <span class="">लिए </span>सड़क के दोनों और एक - एक बस स्टैंड <span class="">शेल्टर </span>का निर्माण हो चुका है यह देखकर मन बहुत प्रसन हुआ , <span class="">यानि </span>की लोगो को बारिश ,तपती धुप से बचने और अपने बस ,<span class="">रिकशा </span><span class="">आदि </span>के इंतजार को करने में कुछ रहत तो अवश्य मिलेगी लेकिन यह क्या अभी तो इस के बारे में इस के <span class="">फायेदे </span>के बारे में चर्चा ही शुरू हुई थी की एक महीने बाद फिर घर <span class="">से </span>निकले तो पाया की शेल्टर का एक और की सड़क का <span class="">आधा </span>हिस्सा तो गायब ही है चलो खेर थोड़े दिन और बीते तो फिर पाया की जो आधा गायब था <span class="">वहा </span>अब बचा हुआ आधा भी नही रहा यानि जैसा शुरू से उस जगह को देखते आए थे व्हो फिर वैसी ही हो गईअच्छा जी अभी तो बात एक ही और के शेल्टर की हुई है अभी तो दूसरी और का शेल्टर तो बचा हुआ ही है न जाने किस की कृपासे </div><br /><div>परन्तु अधिक प्रसंता की जरुरत नही <span class="">है </span>अब <span class="">बारी </span>है दुसरे की जब थोड़े दिन पहेले देखातो एक पाइप गायब फिर दूसरा फिर धीरे धीरे करके सब गायब हो गया आज जब हम सड़क से गुजरे तो पाया की यह भी पुरा गायब हो चुका है आखिर कार यह मझरा क्या है भाई हमें तो <span class="">कुह </span>समझ नही पड़ रहा था <span class="">इलेक्शन </span>थे तो सब बने और होते ही सब गायब पर भइया आप ग़लत न समझे यह पार्षद या विधायक का काम नही है आखिर व्हो ऐसा क्यो करेगे उन्होंने ही तो निर्माण कराया था </div><br /><div>लेकिन जब हम ने लोगो से बात की इस बारे में तो पाया की यह काम इस्मेकियो का है या कबाडियों का बेअशक यह शेल्टर पुरे गायब हो चुके हो पर किसी को कोई फरक नही पड़ता आखिर पड़े भी क्यो केवल उन लोगो को छोड़ कर जिन्हें इसे इस्तेमाल करना था यह तो केवल एक शेल्टर की ही बात है न जाने ऐसे कितने ही शेल्टर और bahut sa सरकारी saamaan churaayaa जा चुका है या churaaya जाना baakee hai ...<span class=""> ये haal तो tab है जब चार kadmoo ki doori par police chowki है ! जब तक </span>मैं ये lekh लिख रही hu tab तक bhut sa smaan kabadiyoo kee dukan तक pahuch चुका <span class="">ho</span>ga ! और जिन के द्वारा इन का निर्माण कराया गया उनहे तो इसका पता भी नही होगा ! </div><br /><div></div><br /><div>आखिरकार अब swaal ये khadaa होता ही की इन सब की suraksha की jimmewari <span class="">कौन </span>लेगा ! क्या सरकार का<span class=""> काम केवल </span>इन्हे laagwaana है ???? या इनकी suraksha को sunishchit करना भी? </div><br /><div></div><br /><div></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-733088563067155112009-03-08T03:39:00.000-07:002009-03-08T03:55:34.592-07:00होली मुबारक<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXyBhnN3HmKBD_QzbW2ewm6Ptijl9Vy-YjlOZ1s4CbSvtcP6PAqEyGavdfZj3ge4Wt2Qf7L-1yiS25mZ3dNDC8QlMQAJ6Cxj7oGnb0vN2EwgZOAIbngmolZ1lP2wMYo1fVYQ9OHqOzLw4/s1600-h/holi97t%5B1%5D.gif"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5310768813432762146" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 70px; CURSOR: hand; HEIGHT: 70px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhXyBhnN3HmKBD_QzbW2ewm6Ptijl9Vy-YjlOZ1s4CbSvtcP6PAqEyGavdfZj3ge4Wt2Qf7L-1yiS25mZ3dNDC8QlMQAJ6Cxj7oGnb0vN2EwgZOAIbngmolZ1lP2wMYo1fVYQ9OHqOzLw4/s400/holi97t%5B1%5D.gif" border="0" /></a><br /><div>आप सभी को होली की हार्दिक शुब्कामनाए </div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-74015256585194346772009-03-08T01:34:00.000-08:002009-03-08T03:16:32.794-07:00रंगों की दुनिया<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeiDsW4TuvuIwZcJax1v5PMl8sBaP4xgVjl2ymayNPXaI2YRL3mdZl24YDGSWT97YrMbfGMtz6vg6ewjnWx2hHAaaYoCnOclG8q-AUrVZwevoEi9HdEdLyK33XAdIC2zLu26fiaYXZov4/s1600-h/holi-greetings%5B1%5D.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5310758453506798594" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 412px; CURSOR: hand; HEIGHT: 202px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjeiDsW4TuvuIwZcJax1v5PMl8sBaP4xgVjl2ymayNPXaI2YRL3mdZl24YDGSWT97YrMbfGMtz6vg6ewjnWx2hHAaaYoCnOclG8q-AUrVZwevoEi9HdEdLyK33XAdIC2zLu26fiaYXZov4/s400/holi-greetings%5B1%5D.jpg" border="0" /></a><br /><p>त्यौहार कोई भी क्यो न हो सभी के चहेरे पर एक खुशी ला देता है </p><br /><p>और खास कर की रंगों का त्यौहार होली तो आने से पहेले ही आदमी को मस्ती के माहोल में ढलने को प्रेरित करता है फिर चाहे कोई छोटा हो या बड़ा रंग सभी को अपनी और आकर्षित करते है यही वो पल होते है जब इंसान अपने सभी गिले शिकवे मिटा कर सभी को एक ही रंग में रंग लेता है और रंगोंकी मस्ती में सराबोर हो कर सभी गमो को भुला कर , अपनी भागती दोड़ती जिन्दगी में से कुछ पल पुरे आनंद के साथ जीता है</p><br /><p>मैंआप सभी को होली की बहुत बहुत शुब्कामनाए देती हु और आशा करती हु की आप सभी की होली मंगलमय हो </p>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-31875748398514863422009-02-17T01:17:00.000-08:002009-02-17T02:02:55.631-08:00याद रहेगा वो सफ़र भीदिसम्बर की छुट्टियों में और मम्मी अपने मामा के रहने गए थे और रविवार को हमें को वापस आना थाजैसे ही हम स्टेशन पर पहुचे और वहा का माहोल दाखा तो पाया की रेवाडी से देल्ही १०:३० वाली गाड़ी ४-५ घंटे देर से आयेगी (कोहरे के कारण)खेर थोडी देर अपने मोसी का घर पास में होने के कारण हम वहा रुक गए और फिर २ बजे वाली गाड़ी से अपने घर की और निकल पड़े इस से पहेले भी बहुत सी गाडिया जा चुकी थी जिस कारण हमरी गाड़ी लगभग खाली थी खास का की हमारी बोगी धीरे -धीरे सभी यात्री देल्ही कैंट तक उतर चुके थे अब हमारे डिबबे में मम्मी और में और १ आदमी था और क्योकि यह गाड़ी सराए के बाद पुल बंगश के बीच उजाड़ झुगियो के पास जरुर रूकती है इसलिए उस दिन भी कम से कम २० मिनट तक यह वहा रुकी और यह २० मिनट मेरे और मम्मी के लिए बहुत भरी हो गए थे क्योकि इसी बीच डिब्बे में एक शारबी चढ़ आया और गन्दी गन्दी गलिया देने लगा उस से डर कर हम थोड़े पीछे की तरफ़ चले गए और पाया की वहा भी कोई नही था अब हम और डर चुके थे क्योकि हमने गहने भी पहने थे और काफी समान भी था हमारे पास और उस एक आदमी की वजह से हम गेट भी बंद नही कर पा रहे थे और थोडी देर में व्हो एक आदमी जो पहेले से हमरे साथ था वो भी शराबी की वजह से हमरे ही डिब्बे में आ गया था तब मम्मी ने उनसे बात की तो पाया उन्होंने कहा की बहनजी आप चिंता न करो और दरो मत यह कुछ नही करेगा हम भी तो है यहाँ तब मम्मी को कुछ होसला आया और फिर थोडी ही देर में ट्रेन भी चल दी तब उस आदमी ने पहले हमें उतारा और फिर ख़ुद उत्तरा इस जल्दी बाजी में हम उनका शुक्रिया करना भी भूल गए और अपने घर की और चल दिए<br />आज की दुनिया में भी अच्छे लोगो की कमी नही है इसलिए हमेशा उपर वाले पर भरोसा रखना चाहिए और इस पत्र के जरिये हम उस अनजान व्यक्ति का भी धन्यवाद कहते हैmanu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-17566934692766358772009-01-29T01:11:00.000-08:002009-01-30T00:31:42.574-08:00सरनेम की मायापुराने काल में जब कन्याओ का विवाह होता था ,तो उनका केवल एक ही धर्म होता, अपने पति के धर्म को मानना उसके मान-सम्मान का धयान रखना व पति के प्रति समर्पण की भावना रखना परन्तु अब विवाह के मायने ही बदल गए है यहाँ कोई समर्पण नही रहा सब स्वं को उच्च समझते है और कोई अपनी पहचान नही खोना चाहता एक और यदि देखा जाए तो ,जब माँ-बाप अपने बच्चो की शादी करते है <span class="">तो </span>वह अपने ही <span class="">धर्म </span>में करते है जिसके चलते लड़कियों को अपने पति के धर्म को अपनाने में कोई भी आपति होती और कई बार तो दोनों परिवारों का सरनेंम भी एक ही होता है जिस के <span class="">कारण </span>कोई <span class="">भी </span>समस्या उत्पन्न नही होती है परन्तु जब लड़के-<span class="">लड़किया </span><span class="">स्वं </span>शादी करते है और खास कर की <span class="">अन्तेजतिये </span>विवाह करते है उस <span class="">समय </span>लड़कियों समक्ष अपना सरनेम बदलने की समस्या उत्पन्न होती है वह सोचती है की उनकी <span class="">अपनी </span>पहचान कही खो न जाए ऐसे में वे यह तो अपना सरनेम लगाती ही नही यह फिर अपना और अपने पति दोनों का लगाती है एक और देखा जाए तो इसका आजकल चलन हो चला है और यह लाभदायक भी है जिनका पारिवारिक जीवन सफल नही हो पता वह अलग होने के बाद फिर अपनी उसी पहचान को प्राप्त कर अपना जीवन जीती है और किसी कागजो का फेर-बदल भी नही करना पड़ताmanu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-40581260737463545062009-01-17T00:50:00.000-08:002009-01-17T02:27:10.142-08:00बाल विवाह<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwsdhAVcCh21uTlPFC1et14WYAlBId_sra3YIp9f3Ib57LRYxTXKkDDf3Ha5N8hQrhk2-0Cw1TbNQ5WgUIS0kS1vAaQ4U2ECJ5EpAg4WoyVezyOYW4VXSQSiJ3jByZxtdtvgDHXtVxULQ/s1600-h/f69b63a0c112b5aa%5B1%5D.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292206125397923938" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 135px; CURSOR: hand; HEIGHT: 100px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjwsdhAVcCh21uTlPFC1et14WYAlBId_sra3YIp9f3Ib57LRYxTXKkDDf3Ha5N8hQrhk2-0Cw1TbNQ5WgUIS0kS1vAaQ4U2ECJ5EpAg4WoyVezyOYW4VXSQSiJ3jByZxtdtvgDHXtVxULQ/s400/f69b63a0c112b5aa%5B1%5D.jpg" border="0" /></a><br /><div>मासूम ,भोला ,स्वतंत्र और बेफिक्र बचपन हर किसी की किस्मत में नही होता जिसका एक बड़ा कारण बाल विवाह भी है इस पारंपरिक प्रथा को सम्पूर्ण रूप से समाप्त तो नही किया जा सकता परन्तु कुछ सफल प्रयासों द्वारा इसमें कमी लायी जा सकती है केवल कानून बनाने से कुछ नही होगा उस के द्वारा तो हम लोगो में डर पैदा कर सकते है और कमी भी ला सकते<span class=""> परन्तु कानून को सदेव सबूतों की जरुरत होती है जो इस प्रकार की गतिविधियों में छुपा लिए जाते है और सरकर कुछ नही कर पातीइस की रोकथम के लिए जरुरी है लोगो का जागरूक करना जैसे नुक्कड़ नाटक तथा गीतों का सहारा लेकर ,सम्मेंलनो के जरिये माँ -बेटी को विवाह के दुष्परिणाम के सम्बन्ध में अवगत कराकर तथा अधिक से अधिक लोगो को इस प्रथा को रोकने के लिए भागीदार banaker इसका </span><span class="">सबसे अहम् कारण garibi bhi hai jo choti umer aur bemale vivha karati hai iske liye bhi sarkar ladli yojnayo jaisi yojnaye layi jis ka labh logo ko hua bhi parantu kagji kryewahi se bachne wale logo phir peeche rahe gaye इसके लिए कुछ समाजसेवी संगठनों को गरीब कन्याओ के विवाह के लिए कुछ धन राशिः मुहेयिया करानी chaiye tatha ladli yojnayo jaisi yojnayo ko kiriyanvit karne mein saheyog dena chaiye aur jaha is prakar ke vivaha adhik hote hai वहा पर लड़कियों की संख्या ,शिक्षा ,उमरअदि का बेयोरा रखे और समय -समय पर जाच करे की कही इस प्रकार किसी की जिंदगी के अनमोल पल ख़राब न हो रहे हो </span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span></div>manu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-1627782245606907851.post-17513753875784147622008-09-26T02:56:00.000-07:002008-09-26T03:38:12.003-07:00asli laxmi का स्वागत क्यो नही?स्त्री को हम पूजते है और अपनी धरती को हमने सुजला सुफलाम करने वाली नदियों को ,हमने गंगा,जमुना,के नाम दिए हैसंकट आने पर हमें याद आती है आक्रामक और शत्रु का विनाश करने वाली दुर्गा माँ ! पर आश्चर्ये की बात यह है की जिस देश में स्त्री की पूजा होती है उसी देश में स्त्री की अवहेलना भी होती है आखिर वक्तव्य और कृति में इतना विरोधाभास क्यो?और आब तो हमरी हिम्मत यहाँ तक बढ गई है की माँ के गर्भ में लड़की होगी तो गर्भ को ख़त्म करा दिया जाता हैक्योकि इसके पीछे कुछ विश्वास है की १.लड़का कुल का दीपक है २.लड़का यानि बुडापे की लाठी और लड़की यानि दहेज़ के खर्च का बोझ ३। यदि हम यह सवाल करे की आप के मन को अच्छे से कोन समझता है लड़की या लड़का ?तो १००%जवाब मिलता है मेरी राय के अनुसार सबसे अधिक दोषी वो लोग है जिन्होंने इसे एक व्यवसाय बना लिया हैगर्भ्लिंग परीक्षण या सोनोग्राफी के दुवारा गर्भका लिंग पहचाना जा सकता है यह बात समाज में किस ने फैलाई ?और इस समाज की कमजोरी का ख़ुद के लिए इस्तेमाल किस ने किया डॉक्टर लोगो ने न ?एक डॉक्टर जो समाज का हितचिन्तक माना जाता है उसी ने ग़लत रस्ते पर जाने वाले लोगो को रोकने की जगहे ,वही उन ग़लत रास्ता दिखाने लगा एक <span class="">घातक </span>सामाजिक प्रक्रिया को पैसे के लालच से badawa देने लगा इससे अधिक durbhagye purn क्या है यह काम तभी रुक सकता है १.जब सरकार इस के लिए sakth kanoon बनाये २.सामाजिक vichardhara बदले ३.लोगो में jagrukta को badaya जाए ४.और docter लोगो का लालच कम हो यही ५ tatvo से मिलकर यह dushchark बना है जिसे todna jaruri हैmanu sharmahttp://www.blogger.com/profile/02665460960616444279noreply@blogger.com0