
सूरज की तपती किरणे हूँ तो क्या,
छांव का मेरा आंचल आज भी है|
गगन में छायी बदिरा हूँ तो क्या,
नदियों की मेरी कल कलाहट आज भी है|
पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या ,
जमीं पर मेरा नामोनिशां आज भी है|
बन्धनों में सभी जकड़ी हूँ तो क्या,
ख्वाहिशो का मेरा जन्हा आज भी है|
आज में फलक पर हूँ तो क्या,
जमीं पर मेरा आशियाँ आज भी है|
समुंद्र पर फैली रेत हूँ तो क्या ,
मोती सी आब मुझ में आज भी है |
यादों को मेरी जहाँ से मिटा दोगे तो क्या,
जहन में बंसा मेरा रूप आज भी है|
(एक माँ ,बेटी और बहू )
पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या,
ज़मी पर मेरा नामोनिशां आज भी है|
छांव का मेरा आंचल आज भी है|
गगन में छायी बदिरा हूँ तो क्या,
नदियों की मेरी कल कलाहट आज भी है|
पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या ,
जमीं पर मेरा नामोनिशां आज भी है|
बन्धनों में सभी जकड़ी हूँ तो क्या,
ख्वाहिशो का मेरा जन्हा आज भी है|
आज में फलक पर हूँ तो क्या,
जमीं पर मेरा आशियाँ आज भी है|
समुंद्र पर फैली रेत हूँ तो क्या ,
मोती सी आब मुझ में आज भी है |
यादों को मेरी जहाँ से मिटा दोगे तो क्या,
जहन में बंसा मेरा रूप आज भी है|
(एक माँ ,बेटी और बहू )
पंछी बन गगन में उडती हूँ तो क्या,
ज़मी पर मेरा नामोनिशां आज भी है|