गुरुवार, 5 जून 2008

अधिकारों के लिए जूझते प्रदर्शनकारी




आज हम लेकिन देश को आजाद कराने में क्रांतिकारियों ने जिस स्वतंत्र व सुखी समाज का स्वपन देखा था वह आज टूटता हुआ दिखाई दे है आज लोग ये कहते हुए सुनाई पड़ते है की हमको भी देखो , हमको भी सुनो यदि नही तो यह बताओ की कोन सुनेगा हमारी आवाज़ और कोन दिलाएगा हमे नयाय जी हा हम बात कर रहे है शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगे पुरी कराने के लिए जंतर-मंतर पर बैठे धरना प्रदर्शनकारियों की जो अपना घर-बार छोडे अपने ही देश में परयो और अनाथों की तरहा अपनी सम्सयाओसे निजात पाने के लिए सालो से यह धरना दिए बैठे है कोई भूखा -प्यासा तो कोई धमकियों को झेलता हुआ लेकिन सरकार है की इनको नज़र अंदाज़ किए हुए है ऐसे बहुत सी परेशानियों से झुझते हुए अनेको संगठन के लोग अपनी -अपनी आवाज़ को सरकार तक पहुचाने में लगे हैकभी मीडिया के सहारे तो कभी विज्ञापनों के द्वारा लेकिन सरकार लगातार उनको अनदेखा करती जा रही हैजब हमने प्रदर्शन करियो से बात की तो जान पाए की बेशक ये कितने सालो ,महीनों से अपने घरो से दूर क्यो न पड़े हो ,इनकी मांगो पर भले ही सरकार ने कोई संतोषजनक उत्तर न दिया हो परन्तु जिस दिन से ये यह बैठे है उस दिन से आज तक इनके मनोबल में कोई कमी नही आई है जब इनसे पूछा जाता है की आप को उम्मीद है की आप की मांगे पुरी की जायगी तो उत्तर मिलता है शायद हा वही जंतर-मंतर पर बहुत से संगठन है जिन में से कोई भूखा है ,तो कोई अपने केस की s unwai में लगा हैपर aab तक कोई संतोषजनक जवाब नही परन्तु ऐसा बिल्कुल नही है की हमारी सरकार हाथ पर हाथ धरे केवल दर्शक बने सब कुछ देख रही hai उन्होंने इनके लिए कोई suvidha बेशक न दी हो तो क्या हुआ ?इनकी suraksha के लिए police का तो intazam कर ही रखा है वो भी इसलिए की यदि कोई मरे या मरने की koshish करे तो उससे hospital तक तो pahuch ही दिया जाता है लेकिन prashan aab भी यही ubahrta है की azadi के ६० साल बाद भी प्रदर्शनकारियों की उठी आवाज़ को कब और कब तक रोका jayega ? कब तक सरकार une अनदेखा करती जायगी?कब तक जंतर-मंतर पर pardarshankari pradershan करते rahege ? aakhir कब तक

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