बीज से पैदा हुआ हू
जड़ो से हु जुडा
जुड़कर जड़ो से एक तने ने
मुझको किया खड़ा ,
तने की कुछ शाखाओ से
मुझको यह सुंदर रूप मिला
उन पर लिपटे सुंदर
पत्तो से हु मैं जड़ा ,
धुप मैं छाव मैं देता तुमको
भूख मैं देता फल
मुझको प्रेम करो तुम सब
मैं तुम को देता जीवन
तुम से मैं हु मुझ से तुम हो
यह है सत्य वचन
मुझे अब न काटना तुम
आखिर मुझ मैं भी है जीवन
प्रयावरण चेतना जगाती रचना पसंद आई.
जवाब देंहटाएंaap ke dwara likhi yeh kavita mujhe bahut hi acchi lagi.
जवाब देंहटाएं