मंगलवार, 7 सितंबर 2010

कॉमन वेल्थ खेल का खेल



जिस विषय पर सारी दुनिया में विवाद है भारी,
वह कॉमनवेल्थ २०१० खेलो की है तेयारी
झेल रही है जिसे दिल्ली की जनता सारी,
फुटपाथो से लेकर सज रही है स्टेडियम की बत्ती सारी
मेहमान नवाजी के लिए तेयार है शीला सरकार हमारी,
आंखे मूंद कर रही है सभी तेयारी
विरोधी पार्टियों ने भी उठाई है आवाज़ ये भारी,
घोटालो की लग चुकी है खेलो को बीमारी
१५ दिनों की है इन्द्रधनुषी बरसात ये प्यारी ,
और प्रशासन ने पहेले ही कर ली अपनी जेबे भारी
मीडिया दिखता है जब असलियत सारी ,
तो आंखे फेर लेती है सरकार हमारी
कॉमनवेल्थ खेलो पर ही टिकी है अब तो नज़रे सारी,
पर जरा कॉमन मेन को भी पूछ लीजिये ,
आखिर उस्सी ने तो झेली है मुसीबते सारी
कॉमन मेन का जो हो रहा बुरा हाल है,
ये केवल कॉमनवेल्थ खेलो का ही कमाल है


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रविवार, 15 अगस्त 2010

हम आजाद है


आज हम आजाद है ,
यह जश्न की बात है,
पर शहीदों की शहादत ,
आज किसको याद है
अपने जीवन को मिटा,
आजाद हम को कर गए,
राष्ट्र भावना के लिए,
हँसते हुए बिखर गए


आज उस आज़ादी का,
मोल हम खो रहे,
क्रांति के बीज अब,
हम नहीं बो रहे
बढ़ना है आगे हमें,
यह सोच अपना रहे,
बिना सोचे समझे ,
आगे बढते ही जा रहे

विकास के नाम पर ,
छोटे -बड़े सब साथ है,
देश फिर गुलाम हो रहा,
इस बात से अज्ञात है
फंस चुका है देश आज,
फिर विदेशी जाल में,
हो रहा दिवालिया ,
भ्रष्ट्राचार के संजाल में

रक्षक ही भक्षक बने,
क्या दे़ख नहीं पा रहे?
फिर भी अपने आप को ,
आजाद कहे जा रहे,
फिर भी अपने आप को,
आजाद कहे जा रहे
हम खुश है आज की ,
आज हम आजाद है,
आज़ादी की ख़ुशी ,
हम सब के साथ है,
यह भी तो जश्न की बात है

रविवार, 1 अगस्त 2010


रक्त सम्बन्ध का तो नहीं ,पर उससे भी बढकर इस संसार में,

लोगों के मध्य एक अनमोल रिश्ता बन जाता है,

वह रिश्ता

हिमालय की गोद से गिरे खुले पानी की तरह बहता हुआ ,

सभी बन्धनों से मुक्त एक स्वतंत्र रूप लिए हुए ,

मनो तो प्यार का अमृत,

न मनो तो सिर्फ एक दूसरे के चेहरों की पहचान ,

लेंन -देन ,भेद-भाव,उंच - नीच की भावना से बहुत उपर ,

दिलो का वह प्यारा सा बंधन ,

कोई और नहीं दोस्ती का है,

जो हम सभी के जीवन में बहुत ही कीमती है ,

जिस की कीमत को कभी कोई आक नहीं सकता ,

अपने जीवन में दोस्ती की बगिया को आप हमेशा हरा भरा रखे ,इस अनमोल रिश्ते को आप सभी सहेज कर रखे इसी आशा के साथ आप सभी को आज friendship day के अवसर पर बहुत बहुत बधाई

रविवार, 9 मई 2010

मेरी माँ मेरी दुनिया


मुझको जीवन देने वाली तुम ही माँ मेरी ,
हाथ पकड़ चलने वाली तुम ही हो माँ मेरी ,
क ,ख,ग का पहला आखर तुमने ही सिखलाया ,
कोन सही और कोन गलत मुझको यह बतलाया ,
मुझको तो कोई मान न था,
भले बुरे का ज्ञान न था,
जब-जब में रहा भटका राह दिखाई माँ तुमने ,
ज़वा हुआ तो मित्र बनाकर गले लगाया माँ तुमने ,
अपने बच्चो की खातिर ,जीवन अपना त्याग दिया ,
मातृत्व की करूणा का ,हर पल तुमने एहसास दिया,
जीवन की राह में जब भी खुद को तान्हा पाता हू ,
तुम्हारे आँचल की छाव को मैं अपने सिर पर पाता हू,
कहने को है बहुत मगर ,
शब्द कम पेजाते है,
अंत मैं मेरे पास बस,
यही शब्द रह जाते है,
तुम रूठ न जाना माँ मेरी ,
तुम बिन कैसे रह पाउँगा ,
इस जीवन की नया में मैं सब रिश्ते पा जाऊंगा
पर यही सोच घबराता हू
में माँ कहा से लाऊंगा,
में माँ कहा से लाऊंगा

बुधवार, 10 मार्च 2010


जिंदगी से जब मेंने यह प्रश्न किया

ऐ जिंदगी यह तुने क्या किया

जिंदगी की राह पर मुझे यू अकेला छोड़ दिया

जिंदगी ने हर बार यही उत्तर दिया

जो दिया वो क्या कम दिया

जिंदगी के हर कदम पर तेरे हर एक कर्म पर

तुझे जीवन का सबब दिया

वो क्या कम किया

फिर भी पूछता है मुझसे मेंने तुझे क्या दिया

सुख़ की छाव हो या गमो की घटा हो

हर दम तेरे साथ जिया हर घूंट तेरे साथ पिया

सुख़ कम गम खूब दिया

तो क्या किया

जिंदगी के हर एक पहलू से तुझे अवगत किया

वो क्या कम किया

फिर भी पूछता है मुझसे मेंने तुझे क्या दिया

जिंदगी में पाना जिंदगी में खोना

हर पल एक नयी साँस से नया जीवन जीना

तुझे सब सिखा दिया

वो क्या कम किया

फिर भी बार बार मुझसे यही प्रश्न किया

तुने जीवन में मुझे क्या दिया ,

मेंने फिर भी तुझे यही उत्तर दिया

जो दिया वो क्या कम दिया

इस छोटी सी जिंदगी मैं

तेरे पुरे जीवन का सार तुझे समझा दिया

वो क्या कम किया फिर भी पूछता है मुझसे

ऐ जिंदगी ये तुने क्या किया