जिंदगी की राहों में मिलते है,
न जाने ,कितने अपने कितने बेगाने||
कुछ खास से जुड़ जाती है
रिश्तो की नाजुक डोर
कईयो से बिना डोर भी
जुड़ जाते है रिश्तो के ताने -बाने||
भावना किसी की
जुड़े होते है प्यार के अफसाने||
आखिर क्यों बनते है
यह रिश्ते अनजाने
जिनमें बंधे होते है
अनजानी राहों के मुसाफिर अनजाने||
ज़रूर होते होगे पिछले जन्मो के
कुछ रिश्ते पुराने तभी तो कुछ खास
न होते अपने न रहते बेगाने ||
जिंदगी की राहों में मिलते है
न जाने कितने अपने कितने बेगाने ||
रिश्ते अपने आप में कई अर्थ भी संजोये होते हैं...
जवाब देंहटाएंji sahi kaha aap ne
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